हिन्दी : राष्ट्र भाषा वरदान या

manvanter
manvanter
from jabalpur
15 years ago

हिन्दी : राष्ट्र भाषा वरदान या अभिशाप?

                दिल्ली में संपन्न एक कार्यक्रम में राजेन्द्र यादव ने हिन्दी के साहित्य को बोझ बताते हुए उसे फेंककर आगे बढ़ने की बात कही.                 क्या अपने अतीत से कटकर कोई भाषा जिन्दा रह सकती है?                 क्या हिन्दी का अतीत एसा है जिससे पीछ छुडाया जाए?                  हिन्दी की रोटी खा रहे और हिन्दी की वजह से जाने जा रहे लोगों को हिन्दी का अपमान करने का कोई अधिकार है?                  खुसरो, कबीर, सूर, तुलसी, मीरां, जायसी, देव, भूषण, पद्माकर आदि की तुलना में राजेन्द्र यादव का साहित्यिक कद और औकात क्या है?                   क्यों न राष्ट्र भाषा का अपमान करने और जन भावनाओं को आहत करने के लिए राजेन्द्र यादव माफी मांगें या उनपर केस किया जाए.

Replies 1 to 2 of 2 Descending
Renie Ravin
Renie Ravin
from Chennai
15 years ago

Dude, sorry but I can't read a word of Hindi!

manvanter
manvanter
from jabalpur
15 years ago

आचार्य संजीव सलिल

          संस्कृत की विरासत सम्हाले हिन्दी आज विश्व में सबसे अधिक तेजी से फ़ैल रही भाषा है. जो हिन्दी से दूर है वह सचमुच ही सूर (नेत्रहीन) है. अमरीकी राष्ट्रपति जोर्ज बुश ने अमरीकनों को हिन्दी सीखने के लिए इसीलिये कहा कि हिन्दी के बिना भविष्य में रह पाना मुश्किल होगा.

                      हिन्दी की लिपि, व्याकरण और छंद शास्त्र की बराबरी दुनिया की कोई भाषा नहीं कर सकती. अन्तरिक्ष में अन्य ग्रहों पर सभ्यताओं की संभावना को देखते हुए वैज्ञानिकों ने उन्हें संकेत भेजने के लिए विविध भाषाओँ का अध्यनन किया. इसमें संस्कृत और हिन्दी सबसे अधिक उपयुक्त पाई गयीं.

                      भारत में अंगरेजी विदेशी शासकों की भाषा रही. इसलिए लोगों को अंगरेजी बोलने में शासक होने की अनुभूति होती है जो गलत है. जिन्हें हिन्दी नहीं आती वे हिन्दी सीखें तो भविष्य में लाभ ही होगा.

                                 - sanjivsalil.blogspot.com, - sanjivsalil.blog.co.in, -divyanarmada.blogspot.com

label: hindi, world language, salil, rajendra yadav, hindyugm


LockSign in to reply to this thread