घूरना मना है
भारत में कई प्रकार की भाषांए हैं, कई प्रकार के शेहेर हैं, और कई प्रकार के लोग हैं| हम कहाँ जा रहे हैं ये केवल हमें खुद ही पता है, किन्तु हम अपनी राहों को क्या रूप दे रहे हैं यह सवाल हमें खुद से पूछना है| काहा जाता है की हम जो भी गलत काम इस जीवन में करते हैं हमें उसका परिणाम कभी न कभी भुगतना पड़ता है| वैसे तो ये सब बातें किताबी हैं किन्तु सच तो यह हैं की हमें अपने आदतों को सुधार कर आगे बढ़ना चाहिए| ऐसी कई आदतें हैं जो हमारे देश में पाई जाती हैं और जिनके कारण दूसरो को असुविधा होती है| शुरू करते हैं एक असल ज़िन्दगी की घटना से जिसको हम में से कई लोगों ने झेला है, जी हाँ झेला है, ख़ास कर महिलाओं ने| यह है घूरने की आदत| कुछ ही दिन पहले की बात है, में यूँही अपनी एक सह पाठिनी के साथ कॉलेज से घर लौट रहा था| राह चलते हर एक इंसान ने हमें ऐसे घूरा जैसे हमने कोई अपराध कर दिया है एक साथ चल कर| कई लोग तो ऐसे घूर रहे थे जैसे उन्होंने कभी एक लड़का और लड़की को साथ नहीं देखा है| न केवल ये, ऐसा लग रहा था के अपनी तीखी और आपत्तिजनक नज़रों से देखकर वेह हमें स्कैन कर रहे हों| हमने उन लोगों को बिलकुल भी घास नहीं डाली, किन्तु इस घटना ने हमारे दिलोदिमाग पर एक चाप छोड़ दी| एक ऐसी छाप जिसने हमें कई बातें सोचने पर मजबूर कर दिया| बातें जैसे की, क्या हमारे शेहेर के लोग अब भी पुराने खयालात के हैं? क्या हमारे देश के लोगों को एक लड़का और लड़की के साथ उठने बैठने से तकलीफ है? यह बात तो हम सबको पता है के देश में ऐसे कई संसथान हैं जिनका मन्ना है की शादी से पहले एक लड़का लड़की का साथ घूमना-फिरना हमारे संस्कारों के खिलाफ है, किन्तु हमने ऐसी उम्मीद नहीं की थी की अधिकतर लोग हमें घूरेंगे| जहाँ तक घूरने की बात है, तो इस "आपत्तिजनक इशारे" के शिकार कई विदेशी हुए हैं| राह चलते अगर किसी को कोई विदेशी दिख जाता है तो उसे ऐसे घूरते हैं जैसे किसी अनोखे जीव को देख लिया हो| एक और बात जो लगभग हम सब ने देखि होगी और कई लोगों ने की भी होगी, है, अपने ही देश वासियों को विदेशी समझना| हमारे भारत में ऐसे कई प्रदेश हैं जिनके बारे में हम कम सुनते हैं; जैसे की नागालैंड, मिजोरम, आसाम, आदि| इन प्रदेशों के लोग, दिखने में, बाकी प्रदेश के लोगों से अलग होते हैं| इसके कई कारण हैं, जैसे की, वहां का तापमान एवं मौसम, रहने का ढंग, आदि| किन्तु जब हम ऐसे प्रदेश के लोगों को देखते हैं तो कुछ यूं घूरते हैं जैसे हमें इनके बारे में कुछ भी ना पता हो, आँखें गडा के उनको शर्म से पानी पानी कर देते हैं, उन्हें अपने ही देश में पराया बना देते हैं| यदि कोई हमें घूरता है तो हम कर भी क्या सकते हैं? घूरना कोई अपराध नहीं| है ना? एक नज़र में सामने वाले को शर्मिंदा करना अपराध नहीं, लड़कियों को आपत्तिजनक नज़र से देखना अपराध नहीं| जेल तो नहीं भेज सकते? क्या घूरना एक दोष है? यदि ये दोष है, तो क्या हम कभी इस दोष को अपने देशवासियों के मन से निकाल पाएंगे? कब तक हम अपने देशवासियों को पराया बनाएँगे? कब तक हम अपने देश की नारियों को शर्मसार करेंगे? कब तक हम अपने पिछडे खयालातों को अपने आज पे हावी होने देंगे? आज ये मेरे साथ हुआ, कल आपके साथ भी हो सकता है| आवाज़ उठाओ, विचार बदलो|
sahi likha hai but kahin kahin matra mein problem hai
Thanks alot, i will take care of the maatra
Sahi likha hai Anshul Bro.
Good Observation...
Thanks alot Shahanshah Bhai,
Ek jaisi soch wale logon se milkar khushi hoti hai
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