मेरी मिल्कियत । (गीत)

Markand Dave
Markand Dave
from ahmadabad
12 years ago

है  तड़पना मेरी मिल्कियत, तुझे छोड़ना है शराफ़त ।चाहता  था  की  बनी  रहे, दरमियाँ  हमारी ये उलफ़त ।(उलफ़त = पारस्परिक संबंध ।) अंतरा-१वादा - ए - वफ़ा और कसमें वो, लबरेज़ निगाहें प्यार से..!मिले आंसू-आंहें,टूटा दिल, लिखी नसीब में  ये विरासत..!है  तड़पना  मेरी  मिल्कियत, तुझे  छोड़ना है शराफ़त ।(लबरेज़=लबालब)अंतरा-२लिखे  जायेंगे,  अफ़साने    कई,   होंगे  हमारे  चर्चे   भी..!सब बातें थीं, बातों का क्या? करे कौन हम पर शफ़क़त..! है  तड़पना  मेरी  मिल्कियत, तुझे  छोड़ना  है शराफ़त ।(शफ़क़त =पीड़ित व्यक्ति के साथ दया भाव । )अंतरा-३ढूंढता  हूँ   अपने  वारिस  को, पूछता  रहा  मैं अपनों  से ।चलो, आप से भी पूछता हूँ, क्या है आप का भी अभिमत ?है  तड़पना  मेरी  मिल्कियत, तुझे  छोड़ना है शराफ़त ।(अभिमत = विचार,राय )अंतरा-४.कुछ  कर  सको  तो अब  यही, करना दुआ तुम  मेरे  यार ।मिले ना मुझे,प्यार फिर कभी, न हो ज़िंदगी में ये अज़मत ।है   तड़पना  मेरी  मिल्कियत, तुझे  छोड़ना  है  शराफ़त ।(अज़मत = चमत्कार ।)मार्कण्ड दवे । दिनांक-२९-७-२०१२.

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