ताना-बाना
"आप कुछ कहें, तो सुनेंगे; सुनेंगे तो बोलेंगे"- गुलज़ार। इस नज़रिए से, हम सोचते क्या हैं? और चाहते क्या? साथ ही पाते क्या हैं? दरअसल इन सबके बाद तथा इस सब के बावजूद हम कहते और करते क्या हैं? 'ताना-बाना' इसी रूप में रूबरू होता रहेगा...