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Supriya Sinha
Supriya Sinha
from Delhi
7 years ago
थिरकते ख़्वाब

ख़्वाबों को कोई तस्वीरों मैं कैसे क़ैद करे, ये तो उड़ते हैं मन के आँगन में, लब्ज़ बना कर ख्वाबों को कोई कैसे बयां करे