तुम्हारा सच!
आप ही के Bolg 'सच में’ पर एक नयी गज़ल post की है,उन्वान है ’तुम्हारा सच’, मेहरबानी कर के पढें और अपने valuable comments से oblidge करें।
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अच्छा लगा आपका ब्लॉग ।
दर्द की महसूसियत ही शायद संवेदना को कविता की शक्ल में बदल देती है ।
बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने । धन्यवाद ।
हिमान्शु जी,
आप को ’चिठ्ठा जगत’ पर पढता रह्ता हूं,सुन्दर प्रशन्सात्मक,अभिव्यक्ति के लिये ह्र्दय से धन्यवाद।