वो इंसान तक बहुत बेहूदा निकला...

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उसे मेरे गेसुओं की छाओं की तमन्ना थी , उसे मेरे पलकों के गांव  की तमन्ना थी I  उसे मेरे कान की बाली

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Neeraj Kumar

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