शाम बेसब्र थी...

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शाम बेसब्र थी, रात  की ज़ुल्फ़ों में  खोने को, तारों की झुरमुट में सोने को, ख़्वाब की आहट संजोने को I  मैं बेसब्र था, उसकी सांसों में अपनी सांस...

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Neeraj Kumar

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