सुनो! प्रेम...तुम तब भी उम्मीद की तरह साथ बने रहना!

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यह चंद मख़मली शब्दों में लिपटी गुदगुदाती, नर्म कोमल अनुभूति है. स्पर्श के बीज से उगी उम्मीद की लहलह

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Preeti Agyaat

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