ग़ज़ल: एक दिन

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ज़मीन-ओ-आसमां, और अपनी नज़रों का जहाँ कर चलेंगे ये सभी तेरे हवाले एक दिन | वो जो बाक़ी रह गया था रहज़नों स

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Akash Kumar

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