कहीं तो उड़ने को पूरा आकाश है...

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कहीं तो उड़ने को पूरा आकाश है, तो कहीं रेंगना हीं उपलब्ध प्रयास है I कहीं तो कपटता हीं उच्च विन्यास

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Neeraj Kumar

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