कितनी निर्दयी हो तुम.

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कभी रेत के मानिंद, मुट्ठी से फिसलती हो। कभी गले लगाती हो। कितनी निर्दयी हो तुम. ऐ जिंदगी, क्यों सता

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Rahul Paliwal

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