इबादतों में इश्क इकरार हुई

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इंतजार में तेरे मेरी रातें सब बदनाम हुई गुलज़ार दिनों की रौनक भी बस नज्मों पर तमाम हुई खैर मक़्दम क

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Anchal Pandey

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