इंसान बन के रह सकूं तो इत्मीनान हो ...

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मैं सो सकूं मौला मुझे इतनी थकान हो आकाश को छूती हुई चाहे उड़ान हो सुख दुःख सफ़र में बांटना आसान हो सक

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Digamber Naswa

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