नमस्कार पाठको ! बीते दिनों काफी दिनों से परेशान और व्यथित था ! कहीं न कहीं समाज की मान्यताओं को मै भी मानने लगा था ! जिस तरह से ज्ञानसागर परिवार को मै वर्ष २०१५ से समय दे रहा था उस जैसे अब शायद नही दे रहा हूँ क्योंकि समाज की मान्यताओं ने मुझे मेरा जीवन, परिवार और मेरे करियर के बारे में मुझे अहसास करा दिया था पर मै भूल गया था जो ईश्वर भक्त होते है