चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य भी कहा जाताहै, की एक रचना “कौटिलीय अर्थशास्त्र” है, जिसमें उन्होंने राजा के और उसके प्रशासनिक तंत्र की कार्य-प्रणाली की विशद एवं विस्तृत चर्चा की है। इसी ग्रंथ के किसी एक अध्यय में राजकर्मचारी के दायित्वों, राजा के प्रति शालीन व्यवहार, और राजा के रोष से बचने की सावधानी आदि की बातें बताई गई हैं। उसी अध्याय पर आधारित दो आलेखों में से दूसरा यहां पर प्रस्तुत है।