अलविदा... डॉक्टर कलाम

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शब्द गुलज़ार साहब के हैं ... जो बयां कर रहे हैं एक रूह की खूबसूरती को... और ये खूबसूरत रूह ... डॉक्टर एपी

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Hemant Vashisth

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