अंतिम उजाला (नाटक)

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वैश्या (मोहिनी)- ले छू मुझे नोच ! मैं पैसे भी नहीं लूँगी तुझसे, अब तो छू देख बाबू ये मेरी तरफ देखता भी

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Shashiprakash Saini

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