कठिन परीक्षाओं का साल कभी पास, कभी फेल! कभी संगीनियाँ, कभी खुशफहमियां कोई पास, कोई दूर! कभी शाबाशियां, कभी उदासीनता कुछ पाया, कुछ खोया क्या पाया, क्या खोया कुछ समझ ना आया मकड़ जाल सी उलझने ना अंदर …
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