वक्त के निशाँ

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समेट लो नफरत की दुकानों को, देखो, फैलने दो मोहब्बत के फ़सानों को, देखो, कहीं देर न हो जाए, वक़्त के निशानों को देखो!

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Anjana Dayal de Prewitt

blogs from Virginia, USA

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