कोई दर्द आशना नहीं

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पहला भाग चाय का कप हाथ में पकड़े ख़ामोश बैठे रहना और बैठे बैठे सोचते रहना । उसके दिन का ज़्यादातर हिस्सा बस इसी तरह गुज़रता । कहने को शायर मगर ...

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Abu Turab Naqvi

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