यथेयं पृथिवी मही … – अथर्ववेद में गर्ववती नारी के प्रति शुभेच्छा संदेश

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वैदिक परंपरा के चार वेदों - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद - में चतुर्थ वेद, अथर्ववेद, प्रथम तीन से कुछ अर्थों में भिन्न बताया जाता है। इसे व्यावहारिक जीवन के महत्व के ज्ञान का ग्रंथ माना जाता है। इस ग्रंथ में एक स्थल पर गर्भिणी नारी के प्रति आशीर्वचन या कर्तव्यबोध के मंत्र पढ़ने को मिलते हैं। उन्हीं का उल्लेख इस ब्लॉक-प्रविष्टि में किया गया है।

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Yogendra Joshi

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