...और होली ईद आपस में अभिन्न सहेलियाँ हैं। — नीरज की कविताएँ

Top Post on IndiBlogger
2

दो हुए तो क्या मगर हम एक ही घर के सेहन हैं/ एक ही लौ के दिये हैं , एक ही दिन की किरन हैं/ श्लोक के सँग आयतें पढ़ती हमारी तख़्तियाँ हैं/ और होली ईद आपस में अभिन्न सहेलियाँ हैं। / नीरज की कविताएँ neeraj-ki-kavitayen-holi-eid-saheli

Read this post on shabdankan.com


Bharat Tiwari

blogs from New Delhi