मैं एवं मेरी पीडा....

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अभी अभी संध्या चली गई रजनी को बुलावा दे गई कुछ क्षण में तिमिर आगमन हुआ लहर चुप्पी की बह गई अब मैं ह

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Prashant Chauhan

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