जुबा तुम्हारी जबसे नश्तर हो गयी.....

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परेशां ज़िन्दगी किस कदर हो गयी जुबा तुम्हारी जबसे नश्तर हो गयी, वक़्त की दौड़ ने चेहरे मेरे सुखा दि

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jafar

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