अक्सर झूठ सच का लिबास पहने आते है

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हक़ीक़त रूठी परी है कबसे, फिर भी ख्वाब रिझाने आते है, है सब स्व में ही मगन फिर भी, वो मेरे है दिखाने आते

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Sunny Kumar

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