सूनेपन की अनुभूति

11

हर लम्हा हर पल मेरे बीतते हैं गुमसुम गुमसुम सुनी सुनी सोचते सोचते अब हर रात कटती है हमने भी कभी रात

Read this post on ishwarjha.com


Ishwar Jha

blogs from Mumbai