बहुत गहरी हैं ये आँखें मेरी

0

चंद बिखरे सिमटे आखर , बेतरतीब ,बेलौस से , बात बेबात कहे लिखे गए , उन्हें यूं ही सहेज दिया ह&#...

Read this post on jholtanma.blogspot.com


अजय कुमार झा

blogs from दिल्ली