अब वो बेफिक्र सुबहें नहीं होती, अब वो रंगीन शामें नहीं होतीं...

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अब वो बेफिक्र सुबहें नहीं होती, अब वो रंगीन शामें नहीं होतीं...-A Poem

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himanshu rajput

blogs from Bijnor; Dharamshala