सिक्कों के फर्श पर तो ये भी फिसल गए ..!

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नज़रों की तमाज़त से मेरे ख़्वाब जल गए बेशर्म से कुछ सच थे बच के निकल गए अँधों के गाँव में अब मनती है दी

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Swapna Manjusha 'ada'

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