फिर वही हैं तन्हाईयाँ.. फिर ये मन उदास है..

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ख्वाब देखता हूँ मैं.. कि, वो फिर मेरे यूँ पास हैं .. खिल गया मेरा ये मन, उम्मीदों को मिली परवाज़ हैं पर

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Alok Mehta

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