शुद्ध हास्य-कविता - एक बार हुआ यूँ ....,

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एक बार हुआ यूँ, की ग़ालिब सोचे, कुछ यूँ, क्या हो अगर, हो यूँ, और न यूँ !! अब जब ग़ालिब, सोचे यूँ, तो हुआ यूँ,

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