ये कवि बड़ा बेबस है

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गर्मी है घमौरियाँ हैं उमस है ये कवि बड़ा बेबस है घर जा नहीं सकता वहाँ की बरसात यहाँ ला नहीं सकता

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Shashiprakash Saini

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