कविता: हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर सपनों और जुनून की कुछ गीली बूंदें

50

हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर सपनों और जुनून की कुछ गीली बूंदें गिरी होंगी कभी गए बरसों में मगर अ

Read this post on dilkisunao.blogspot.com


Jaideep Khanduja

blogs from New Delhi

Recommended for you