मैं अपना आरम्भ कितना पीछे छोड़ आया हूं।

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अकेले जीना नहीं चाहता और मरना भी..इसलिए इंतजार कर रहा हूं उसके आने का..ताकि हम अंगुलियों के पेंच लड

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Nandlal Sharma

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