भीड़ मे खुद को जब भी पाया तो तन्हा ही पाया .

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एक दिन अचानक बिछड़ के फिर न मिल पाया , वरना मिलने वालो को बिछड़ बिछड़ के मिलता पाया ।

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yogesh dixit

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