अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं

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क्या हुआ गर मेरे यारों की ज़ुबानें चुप है मेरे शाहिद मेरे यारों के सिवा और भी हैं

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Yashwant

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