Madhushala - Harivansh Rai Bachchan (Part 4)

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साकी बन आती है प्रातः जब अरुणा ऊषा बाला, तारक-मणि-मंडित चादर दे मोल धरा लेती हाला, अगणित कर-किरणों

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Yashwant

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