kumar vishwas - तुम बिन कितने अज अकेले, क्या हम तुमको बतलायें?

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कितनी तन्हा बीत चुकी हैं, कितनी तन्हा और रही है दिल दो हैं,ज़ज्बात अकेले, क्या हम तुमको बतलायें..?

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Yashwant

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