कोई हम-नफ़स नहीं है,कोई राज़दाँ नहीं है

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Great work by mustafa zaidi मेरी रूह की हक़ीक़त मेरे आँसुओं से पूछो मेरा मजलिसी तबस्सुम,मेरा तर्जुमाँ नहीं है

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Yashwant

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