जानपहचान-वाद: स्कालरशिप नही मि
अब इसे जान पहचान-वाद नही कहेगें तो और क्या कहा जायेगा। मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर डिपार्टमेन्टहर साल जूनियर और सीनियर अर्टिस्ट के लिये स्कोलरशिप देने की घोषणां करती है। ऐसी घोंषणायें सुनने में तो बहुत अच्छी लगती हैं कि जो कलाकार आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारणं अच्छे महगें सस्थानों में दाखिला नही ले पाते हैं उनके लिये आगे बड़ ने का रास्ता खुलता दिखाई देता है। पर इस बात का किसी भी व्यक्ति को अन्दाजा नही होगा कि स्कोलरशिप सिर्फ़ उसको ही दी जाती है जिसकी जानपहचान उस व्यक्ति से हो जो पहले ही मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर डिपार्टमेन्ट से स्कोलरशिप ले चुका है। मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर डिपार्टमेन्ट, दिल्ली, स्कोलरशिप के लिये आवेदन करने वालो के सामने ये शर्त रखती है कि किसी दो ऐसे व्यक्तियों की गारन्टी के रूप में उनका नाम और पता लाया जाये जो पहले ही मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर से स्कोलरशिप ले चुके हों। आखिर किस बिना पर टेलेंट को तोलना चाहती है मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर?… क्या मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर के अधिकारी ये सोचते है कि टेलेंट सिर्फ़ उनमें ही होता है या अच्छा कलाकार सिर्फ़ वही होता है जिसकी जान पहचान उस व्यक्ति से हो जो पहले ही मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर से स्कोलारशिप ले चुका है….?? इस बात से साफ़ जाहिर होता है कि न जान पहचान होगी। न कोई जरूतमन्द और अच्छा कलाकार स्कोलरशिप ले पायेगा। अब इसे जानपहचान-वाद नही तो और क्या कहें?….