A Poem on 'Engineering': Hasya Poet Manas Khatri
कुछ वर्षों पहले बड़ी ही शान के साथ कहा जाता था, की “सामने वाला मकान, Engineer साहब का है”| आज माँ-बाप पढाई के प्रति इतना अधिक सचेत हैं, की बच्चे का नामकरण संस्कार बाद में होता है, वो भविष्य में क्या बनेगा पहले ही तय हो जाता है| मुझे तो संदेह है की कहीं Engineering कोई भयानक बीमारी तो नहीं| अब आप ही देख लीजिए, Virus कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है| बच्चा 10th के बाद ही तैयारी करने में लग जाता है| मैंने तो बड़ी ही मुश्किल से पिंड छुड़ाया है, वरना रिश्ते-नातेदारों में फैला Virus हमारे घर भी आ जाता|देश को लाखों की संख्या में Engineers की ज़रूरत है, इस बात को नकारा नहीं जा सकता| आज गली-गली खुलते कॉलेजों के बीच Engineering की पढ़ाई एक मज़ाक बन कर रह गई है| आप ने ‘तथास्तु’ सुना होगा, पर “Engineer-आस्तु”?..ये मेरा आशीर्वाद है, हर उस Student को जो दिल से Engineer बनना चाहता है| जो कोई भी Engineer वाली सोंच/प्रतिभा रखता हो वो इस क्षेत्र में खूब तरक्की प्राप्त करे, और हिन्दुस्तान का नाम रोशन करे| तो फिर “Engineer-आस्तु”
http://manaskhatri.wordpress.com/2010/10/12/engineers-song/
Reason: Hasya Poem
धन्यवाद प्रमोद जी|
Very nice. Manas keep writing... i hope ur reading Madhushala adn Premchand :)