सोशल मीडिया का शोर और में
रात का सन्नाटा ऊँची अट्टालिका को चीर रहा था,विचलित मन रात को निहार रहा था की तभी,सोशल मीडिया के शोर ने खीचा लाया मुझे ,कैसी ये छद्म दुनिया रच डाली है हमने,रोज एक नए चेहरों की किताब(Facebook)पर दे देते है एक नया नाम,श्याम को sam, राम को रीता बनाते,वाह रे सोशल इंजीनियरिंग. . . . .अब माँ की लोरी twitter के tweets गा रहा,यार दोस्तों की दिल की बात orkut सुना रहा,जो पास है उनकी खबर नही बस खोज रहे रोज एक नई community,अपनों की खबर नही बस चाह रहे सोशल identity ,में भी इसी सोशल शोर में खोकरअपने आप को socialized कह रहा हूँ ..........
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Sahi kah rahe hain. Social networking ne social life ko banaya nahin bigada hai.
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