रांचीहल्ला की समीक्षा
कृपया रांचीहल्ला की समीक्षा कर बतायें कि हमलोग और क्या करें
आपका ब्लाग मैं पढ़ता रहा हूं। समसामायिक विषयों पर केंद्रित आपके ब्लाग में पठनीय सामग्री मिल जाती है। मेरा मानना है कि यदि आप अपने ब्लाग को रांची और झारखंड की समस्याओं, संपदा और संस्कृति पर ही केंद्रित रखें तो एक अलग और स्थाई पहचान बनेगी।
आपका बहुमूल्य सुझाव हमारे ब्लॉग के लिए अमृत के समान है। आपने जो कुछ सुझाव दिया है, उस पर अमल करने की लगातार कोशिश जारी रहेगी। आपसे गुजारिश है कि ब्लॉग पढ़ते रहें और अपने सुझावों से हमें हमेशा अवगत कराते रहें। आपका धन्यवाद किन शब्दों के साथ ज्ञापित किया जाये, यह समझ नहीं आ रहा है, इसलिए बिना धन्यवाद दिये ही अपनी बात को अल्पविराम दे रहा हूं,,,,,
रांचीहल्ला एक स्थापित, अच्छा हिंदी ब्लोग है। मैं इसे पहली बार देख रहा हूं, क्योंकि अभी मैं नौसिखिया ब्लोगर ही हूं और पुराने ब्लोगों से कम ही परिचित हूं।
आपका टेंप्लेट मुझे बहुत पसंद आया। सफेद पृष्ठभूमि पर लेख बहुत साफ-साफ दिखाई देते हैं। विड्जेट आदि की भीड़-भाड़ भी नहीं है।
तकनीकी दृष्टि से भी रांचीहल्ला आगे बढ़ा हुआ लगा। किसे जूता फेंकेंगे वाला पोल बढ़िया है, पर उसमें विकल्प कुछ ज्यादा ही हैं। तीन ही होने चाहिए थे। घड़ी का चेहरा बहुत नवीनतापूर्ण है, मानो किसी बच्चे के हाथ का बना चित्र हो।
एक बात पसंद नहीं आई, लेख पूरा ने देकर आगे पढ़िए करके काट दिया गया है। और जब आगे पढ़ने जाते हैं, तो लेख में दो-तीन नई पंक्तियां ही और मिलती हैं। दो-तीन नई पंक्तियों के लिए एक अतिरिक्त क्लिक की जहमत क्यों करनी पढ़े? इसलिए या तो पूरे लेख को एक ही जगह दें अथवा अधिक लंबे लेख लिखें, अथवा प्रथम पृष्ठ पर लेख के दो-तीन लाइन ही दिखाएं।
मैं साइट का फोलोवर बन गया हूं और लेखों को इत्मीनान से बाद में पढ़ूंगा।
सुब्रमण्यम जी की एक बात ज्यादा सही है कि कुछ-एक पंक्तियों के लिये आगे पढ़े का विकल्प जोडना ठीक नहीं । मैंने अभी देखा आपके ब्लॉग को । मुझे लगता है, आप एक बार लगाने के बाद यह विकल्प हटा नहीं पा रहे हैं । खैर !
आपका ब्लॉग एक बेहतर ब्लॉगिंग का उद्देश्य लेकर गतिमान है । पढ़ता रहता हूँ आपके इस ब्लॉग को । धन्यवाद ।