जय हो..जय हो ..

Hari Joshi
Hari Joshi
from Meerut
15 years ago

लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्‍सव में शिक्षित और बुद्धिजीवी ही उदासीन हैं। जानी-मानी बीएचयू यूनीवर्सिटी कैंपस के पोलिंग बूथ पर मतदान का प्रतिशत केवल अठारह रहा। मैने जब से यह समाचार पढ़ा है तब से दिल बहुत बैचेन है। ये वह कैंपस है जो लगातार वोट की ताकत पहचानने का आह्वान करता रहा है। क्‍या आपको भी बैचेनी है यह समाचार जानने के बाद? आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है? अगर आपको कुछ सूझ रहा हो तो मार्गदर्शन कीजिए।

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हां सच कहा। मैं अभी अभी मतदान केंद्र से लौटा हूं। मैंने अपना फर्ज अदा कर दिया है।

अब 16 मई का इंतजार है।

Hari Joshi
from Meerut
15 years ago

बधाई हो। अगर ये देश बालसुब्रमण्‍यम जी की राह पकड़ ले तो कल्‍याण हो जाए।

मैं सहमत हूं, यह बिलकुल शर्मनाक बात है। लेकिन बुद्धिजीवी और व्यवसायी वर्गों ने कभी वोट की राजनीति में विश्वास किया ही नहीं है।

वे चुनाव के बाद पैसे और पद के बल पर अपना उल्लू सीधा करते हैं, और जनता को उल्लू बनाते हैं।

Hari Joshi
from Meerut
15 years ago

आज मुझे एक एसएमएस मिला है। एसएमएस की भाषा कुछ यूं है- 10 आतंकवादी बोट में बैठकर आए जबकि वोट के सहारे 539 आ सकते हैं। इसलिए अपना वोट सोच-समझकर सुपात्र को दीजिए।

हांलाकि मैं बोट में बैठकर आए आतंकवादियों से इनकी तुलना नहीं कर सकता क्‍योंकि ऐसी तुलना भी एक अतिवाद ही है लेकिन फिर भी मैं और आप अपने मत का प्रयोग तो कर ही सकते हैं जो हम सबको जरूर करना चाहिए।

इस बार सभी जगह कम वोटिंग हुआ है। कुछ लोग इसके लिए गर्मी को दोष दे रहे हैं।

कुछ अन्य लोगों का मानना है कि इस बार चुनावों में कोई वजनदान मुद्दे ही नहीं थे जो लोगों को आंदोलित करे।

लोग नेताओं के नाटकों को देख-देखकर थक चुके हैं। वे समझ चुके हैं कि कुछ नहीं बदलनेवाला, चाहे वे वोट दे या न दें।

मेरे खयाल से बनारस से भाजपा टिकट मुरली मनोहर जोशी को मिला हुआ है। समाजवादी पार्टी, भासपा, कांग्रेस आदि के कौन उम्मीदवार यह पता नहीं।

असली मुकाबला भासपा और सपा के बीच होगी। दोनों ही पार्टियां काफी बदनाम हैं।

उधर बनारस में मुसलमानों की काफी आबादी है। पहले वे सपा को वोट देते थे, लेकिन इस वे भी दुविधा में हैं। सपा ने कल्याण सिंह को गले लगाकर उन्हें नाराज कर दिया है। यह वही कल्याण सिंह हैं, जिन्होंने अपने मुख्य मंत्रित्व में बाबरी मसजिद के ढहाए जाने को रोकने के लिए कुछ नहीं किया था।

दूसरी ओर वरुण कांड से भाजपा से भी मुसलमान खफा हैं।

ऐसा लगता था कि इन दोनों कारणों से मुसलमानों का वोट भासपा को मिलेगा, पर कम वोटिंग दर को देखते हुए ऐसा लगता है कि बहुत से मुसलमानों ने वोट डाला ही नहीं।

कम वोटिंग से किसे फायदा पहुंचेगा यह कहना मुश्किल है, लेकिन मेरा अंदाजा है कि इसका फायदा भासपा को ही मिलेगा।

Hari Joshi
from Meerut
15 years ago

देखिए जीतना और हारना एक अलग बात है। मेरा सवाल है कि बुद्धिजीवी वर्ग सबसे ज्‍यादा जागरूकता और वोट की ताकत की बात करता है। चर्चाओं में भाग लेता है लेकिन जब मतदान का समय आता है तो वह विमुख हो जाता है। आखिर क्‍यों? बीएचयू कैंपस के पोलिंग बूथ पर मतदान का अठारह प्रतिशत रहना क्‍या आत्‍मा को नहीं कचोटता।


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